वन्यजीव गलियारे: विकास और संरक्षण के अन्तद्र्वन्द्व का समाधान
Author(s): Aayushi Jain and Dr. Ajay Vikram Singh Chandela
Abstract: विकास की बढ़ती लालसा बहुमूल्य वन्यजीवों को दरकिनार कर विनाश के कगार पर जा पहुँची हैं। जानवरों के लगातार हो रहे विकास और मानव एवं वन्यजीवों के बीच चल रहे संघर्ष ने सतत् और संतुलित विकास में संकट उत्पन्न कर दिया हैं। विकास से तात्पर्य केवल भौतिक प्रगति से ही नहीं हैं अपितु प्रकृति एवं अन्य प्राकृतिक घटकों जैसे - जल, वायु, भूमि, वन्यजीव और अन्य सभी संसाधनों के सतत् विकास से भी हैं। वन्यजीव भी मानव की तरह इसी धरती पर रहते हैं और पर्यावरण के महत्वपूर्णं घटक हैं। वन्यजीवों का संरक्षण भी उतना ही आवश्यक हैं जितना मानव का विकास और संरक्षण। ऐसी परिस्थिति में दोनों के हितों में टकराव स्वाभाविक हैं।
विकास की अन्धी दौड़ में यह तय करना कठिन हो गया हैं कि विकास मानवोन्मुख हो या वन्यजीवोन्मुख और यदि विकास में सन्तुलन को महत्व दिया जाये तो परस्पर हितों के टकराव की स्थिति में किसका पक्ष लिया जाये? मानव जनसंख्या के बढ़ते दबाव और वन्यजीव आवासों के निरन्तर हृास ने इस प्रश्न को और अधिक विचारणीय बना दिया हैं। विकास और संरक्षण के अन्तद्र्वन्द्व का मुख्य कारण जनसंख्या विस्फोट से संसाधनों पर बढ़ता दबाव हैं। बढ़ती जनसंख्या के आवास, भोजन, आवागमन इत्यादि आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए भूमि उपयोग में आये परिवर्तन ने वन्यजीव आवासों को संकुचित और खण्डित कर दिया हैं। वन्यजीव केवल संरक्षित क्षेत्रों में सिमटकर रह गये हैं।
अतः वन्यजीवों का एक प्राकृतिक आवास से दूसरे प्राकृतिक आवास में होने वाला पलायन, मानवीय आवास क्षेत्रों से होना स्वाभाविक हैं। यही मानव और वन्यजीवों के टकराव का प्रमुख कारण हैं। अतः वन्यजीव गलियारों का विकास एक सीमा तक इस संघर्ष को कम करने में सहायक सिद्ध होगा। वन्यजीव गलियारे, वन्यजीवों को एक सुरक्षित मार्ग प्रदान करेगें और उन्हें मानव बस्तियों से दूर रखने में सहायक सिद्ध होगें।
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Aayushi Jain, Dr. Ajay Vikram Singh Chandela. वन्यजीव गलियारे: विकास और संरक्षण के अन्तद्र्वन्द्व का समाधान. Int J Geogr Geol Environ 2020;2(2):125-130.