जयपुर जिले की विराटनगर तहसील में भूमि उपयोग के प्रबंधन का एक भौगोलिक अध्ययन
Author(s): डॉ. राजबाला साईवाल, माली राम यादव
Abstract: प्राकृतिक संसाधनों में भौतिक तथा जैविक दोनों प्रकार के संसाधन शामिल होते हैं। भौतिक संसाधनों में भूमि एक मुख्य संसाधन है। यदि किसी क्षेत्र के भूमि संसाधन का अनुकूलतम (पोषणीय) उपयोग किया जाए तो उस क्षेत्र का विकास स्वतः ही गति पकड़ सकता है। भूमि उपयोग का विश्लेषण व्यावहारिक भूगोल का एक मुख्य उपागम है। भूमि उपयोग का उचित उपयोग करने के लिए भूमि का वैज्ञानिक वर्गीकरण आवश्यक होता है। किसी भी क्षेत्र का भूमि उपयोग वहां के पर्यावरण से अत्यधिक प्रभावित होता है। भूमि उपयोग का अध्ययन प्रादेशिक नियोजन में महत्वपूर्ण होता है। ‘भूमि प्रयोग’ के अन्तर्गत भू-भाग प्रकृति प्रदत्त विशेषताओं के अनुरूप रहता है और भूमि उपयोग भूमि प्रयोग के शोषण की प्रक्रिया है, जिसमें भूमि का व्यावहारिक उपयोग किसी निश्चित उद्देश्य से किया जाता है। मानव अपनी आवश्यकतानुसार भूमि का उचित एवं अनुचित उपयोग करता है तथा लाभप्रद भूमि उपयोग को अपनाता है। भूमि उपयोग को प्राकृतिक व सांस्कृतिक उत्पादनों के संयोग का प्रतिफल माना जाता है एवं मानव अपने अविरल परिश्रम से भूमि की उपयोगिता में वृद्धि करता है। मानव अपनी आवष्यकताओं की पूर्ति करने के लिए अवांछनीय कार्य करता है, जिससे भूमि उपयोग प्रभावित हो जाता है। अध्ययन क्षेत्र में बढ़ते हुए जनसंख्या दबाव, औद्योगिकीकरण और नगरीकरण के कारण भूमि उपयोग बदला है, फलतः कृषि योग्य भूमि कम हुई है, प्राकृतिक संसाधन घट रहे हैं एवं पारिस्थितिकी असंतुलन की स्थिति उत्पन्न हो रही है, जिसके लिए भूमि उपयोग प्रबंधन अत्यावष्यक हो जाता है।
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How to cite this article:
डॉ. राजबाला साईवाल, माली राम यादव. जयपुर जिले की विराटनगर तहसील में भूमि उपयोग के प्रबंधन का एक भौगोलिक अध्ययन. Int J Geogr Geol Environ 2022;4(1):59-62.