जलग्रहण क्षेत्र विकास कार्यक्रम का मूल्यांकन: करौली पंचायत समिति के संदर्भ में अध्ययन
Author(s): डॉ. प्रेम सोनवाल
Abstract: जल एक मूल्यवान प्राकृतिक संसाधन है। बढ़ती मांग पूरी करने के लिए जल का संरक्षण करने और सभी क्षेत्रों में जल को दूषित होने से बचाने की आवश्यकता है। इसके लिए हमें वाटरशेड प्रबंधन से लेकर रेन वाटर हार्वेसिं्टग की तकनीकों को अपनाना होगा। वर्षा जल का संग्रहण, संरक्षण तथा समुचित प्रबंधन आवश्यक है। करौली जिले में बढ़ती जनसंख्या, शहरीकरण एवं सिंचित कृषि के विस्तार में बढ़ती पानी की मांग व अन्य गतिविधियों के परिणाम स्वरूप जिले की नादौती पंचायत समिति ’अर्द्धसंवेदनशील’ जबकि अन्य सभी पांचों पंचायत समिति हिण्डौन, करौली, टोड़ाभीम, सपोटरा व मण्ड़रायल में भूजल का स्तर ’अति दोहन ’ की श्रेणी में आ गया है और साथ ही पानी की गुणवत्ता में भी कमी आई है। प्रस्तुत शोध पत्र में राजस्थान राज्य के करौली जिले की करौली पंचायत समिति में संचालित जलग्रहण क्षेत्र विकास कार्यक्रम एवं उसके परिणामों का सांख्यिकीय विश्लेषण किया गया हैं। इसके अलावा जलग्रहण क्षेत्र में पहले से उपलब्ध जल संसाधनों, उनके प्रदूषित होने एवं जलाभाव के कारणों, प्रभावों एवं जल प्रबन्धन के प्रभावी उपायों का भी उल्लेख किया गया हैं।
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How to cite this article:
डॉ. प्रेम सोनवाल. जलग्रहण क्षेत्र विकास कार्यक्रम का मूल्यांकन: करौली पंचायत समिति के संदर्भ में अध्ययन. Int J Geogr Geol Environ 2022;4(2):103-107.