अलवर शहर में ग्रामीण-नगरीय उपान्त क्षेत्र के बदलते भूमि उपयोग का अध्ययन
Author(s): डाॅ. सीमा श्रीवास्तव, मीना कुमारी
Abstract: अलवर शहर में नगरीकरण के कारण तीव्र जनसंख्या वृद्धि हुई है, बढ़ती हुई जनसंख्या को विभिन्न सुविधाएं उपलब्ध करवाने के लिए भूमि की उपलब्धता आवष्यक होती है। शहर में सुविधाएं विकसित करने के साथ-साथ ग्रामीण-नगरीय उपान्त क्षेत्र में भी गुणवत्तायुक्त सुविधाओं का विकास कर षहर से जनसंख्या दबाव कम किए जाने का प्रयास किया जा रहा है। मास्टर प्लान में ग्रामीण-नगरीय उपान्त क्षेत्र के विकास के प्रस्तावों के फलस्वरूप इस क्षेत्र के स्वरूप में विकासोन्मुख परिवर्तन आ रहा है। इससे पूर्व ग्रामीण-नगरीय उपान्त क्षेत्र ग्रामीण परिवेष के रूप में परिलक्षित थे तथा इनमें अधिकतर केवल आसपास के ग्रामीण लोगों को सुविधा प्रदान करने के लिए सुविधा दुकानें, प्राथमिक स्कूल, पटवार घर एवं ग्रामीण कुटीर उद्योग ही स्थापित थे। जनसंख्या भी सामान्य गति से बढ़ रही थी। अधिकांष कार्यषील लोग मुख्य सड़क में नित्य श्रमिक के रूप में कार्य करने जाया करते थे, परन्तु ग्रामीण-नगरीय उपान्त क्षेत्र में ढ़ांचागत, आवासीय, औद्योगिक, व्यावसायिक, जनसुविधाओं गतिविधियों पर अधिक जोर देने के कारण यहाँ विकास की नवीन लहर उत्पन्न हो गयी है। यहाँ पर अनेक औद्योगिक इकाईयाँ, राजकीय एवं वैयक्तिक संस्थान, यातायात एवं पेयजल, विद्युत आदि जन सुविधाओं का विकास किया जा रहा है। इन प्रयासों के फलस्वरूप ग्रामीण-नगरीय उपान्त क्षेत्र की जनसंख्या, व्यावसायिक संरचना एवं जीवन षैली में बदलाव आ रहा है। अब इनके ग्रामीण स्वरूप में परिवर्तन हो रहा है तथा नगरीय स्वरूप में विकास हो रहा है। जनसंख्या वृद्धि के कारण षहरी क्षेत्र के साथ-साथ ग्रामीण-नगरीय उपान्त क्षेत्र के प्राकृतिक संसाधनों पर दबाव बढ़ता जा रहा है। षहर की आकारिकी में लगातार परिवर्तन हो रहे हैं, जिस कारण ग्रामीण-नगरीय उपान्त क्षेत्र की आकारिकी भी परिवर्तित हो रही है, प्राकृतिक भू-दृष्यों में विभिन्न सांस्कृतिक गतिविधियों का जमावड़ा बढ़ता जा रहा है, अर्थात् प्राकृतिक परिवेष में सांस्कृतिक परिवेष का युग्मन व सम्मिश्रण होता जा रहा है।
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डाॅ. सीमा श्रीवास्तव, मीना कुमारी. अलवर शहर में ग्रामीण-नगरीय उपान्त क्षेत्र के बदलते भूमि उपयोग का अध्ययन. Int J Geogr Geol Environ 2023;5(1):91-96.