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International Journal of Geography, Geology and Environment
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P-ISSN: 2706-7483, E-ISSN: 2706-7491

NAAS Rating: 4.5

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"International Journal of Geography, Geology and Environment"

2024, Vol. 6, Issue 1, Part D

राजस्थान में मोटे अनाज की वर्तमान स्थिति और सम्भावनाएंः भौगोलिक और नीतिगत परिप्रेक्ष्य


Author(s): Sheela Riyar and Naresh Malik

Abstract: राजस्थान की खाद्य प्रणाली में मोटे अनाजों की परंपरागत रूप से महत्वपूर्ण भूमिका रही है, किंतु 1960 के दशक के बाद सरकारी नीतियों द्वारा गेहूं एवं चावल जैसी फसलों को अधिक प्रोत्साहन देने के कारण इनका उत्पादन और उपभोग घटता गया। इस परिवर्तन के परिणामस्वरूप, मोटे अनाज ‘‘अनाथ फसलें‘‘ बन गए, जिससे कृषि, पर्यावरणीय संतुलन एवं पोषण सुरक्षा प्रभावित हुए कैलोरी-समृद्ध महीन अनाजों को प्राथमिकता देने से खाद्य सुरक्षा तो सुनिश्चित हुई, किंतु पोषण सुरक्षा उपेक्षित रह गई, जिससे कुपोषण की समस्या बढ़ी। साथ ही, कृषि क्षेत्र को जलवायु परिवर्तन, गिरते भूजल स्तर, बढ़ती उत्पादन लागत, एवं किसानों की आय संबंधी कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा। इन समस्याओं के समाधान हेतु मोटे अनाजों को पुनः मुख्यधारा में लाने की आवश्यकता महसूस की गई। इसी क्रम में, 2018 को ‘‘राष्ट्रीय मोटा अनाज वर्ष‘‘ एवं 2023 को ‘‘अंतरराष्ट्रीय मोटा अनाज वर्ष‘‘ के रूप में मनाया गया, जिससे इन फसलों के प्रति जागरूकता बढ़ाई जा सके और इन्हें बदलते जलवायु परिदृश्य में भविष्य के खाद्यान्न के रूप में प्रचारित किया जा सके। हालांकि, मोटे अनाजों के उत्पादन एवं विपणन में कई चुनौतियाँ विद्यमान हैं, जैसे पोषणीय जागरूकता की कमी, अपेक्षाकृत कम उपज, उन्नत बीजों की अनुपलब्धता, प्रसंस्करण मशीनरी का अभाव, अल्प शेल्फ लाइफ, तथा सरकारी समर्थन की कमी। इन चुनौतियों का समाधान किए बिना राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय बाजार में इनका सफल विस्तार संभव नहीं है। अधिकांश समस्याएँ आपूर्ति-पक्ष से संबंधित हैं, किंतु मांग बढ़ाने के लिए उपभोक्ताओं में जागरूकता एवं व्यवहार परिवर्तन भी आवश्यक है। मोटे अनाजों के उत्पादन एवं विपणन को प्रभावी बनाने के लिए अनुसंधान एवं विकास, कृषक उत्पादक संगठन, निजी कंपनियाँ, राज्य स्तरीय नियामक निकाय, तथा केंद्र एवं राज्य सरकार जैसे प्रमुख हितधारकों की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण होगी। प्रस्तुत शोधपत्र में राजस्थान में मोटे अनाजों की वर्तमान स्थिति, उनका महत्व, एवं इनके संवर्धन हेतु प्रभावी रणनीतियों का विश्लेषण किया गया है।

Pages: 303-309 | Views: 43 | Downloads: 25

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International Journal of Geography, Geology and Environment
How to cite this article:
Sheela Riyar, Naresh Malik. राजस्थान में मोटे अनाज की वर्तमान स्थिति और सम्भावनाएंः भौगोलिक और नीतिगत परिप्रेक्ष्य. Int J Geogr Geol Environ 2024;6(1):303-309.
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