करौली जिले में भूमि उपयोग प्रतिरूप का भौगोलिक विश्लेषण
Author(s): नत्थू सिंह महावर
Abstract: भारत एक कृषि प्रधान देश होने के कारण राजस्थान के करौली जिलें की 71 प्रतिशत जनसंख्या की अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार कृषि व इससे सम्बद्ध क्रियाकलाप है। इस हेतु यहाँ के भूमि उपयोग की महत्ता सामाजिक-आर्थिक दृष्टिकोण से अत्यधिक बढ़ जाती है, क्योंकि कृषि से भी इसका घनिष्ठ सम्बन्ध है। जिले में भूमि उपयोग के अन्तर्गत वन, कृषि के लिए अनुपलब्ध, कृषि अयोग्य पड़ती, वास्तविक बोया क्षेत्र आदि के परिवर्तित स्वरूप का भौगोलिक विश्लेषण किया है, जिसमें सुविधाओं एवं सकात्मक कारकों व प्रतिकूल, नकारात्मक कारकों से भूमि उपयोग के अन्तर्गत वृद्धि व कमी सम्बन्धी परिवर्तन की प्रकृति पाई गयी है। यहाँ वन क्षेत्र में वृद्धि हुई है, जिसका कारण पर्याप्त वर्षा का होना रहा है। इसी प्रकार दुपज क्षेत्र में वृद्धि के अलावा कृषि अयोग्य, जोत रहित, पड़त भूमि में कमी विगत बीस वर्षों के अध्ययन में देखने को मिलती है। इसके कारण भूमि सुधार, कृषक की सोच में परिवर्तन, सिंचाई जल सुविधा, उन्नत खाद-बीज, सरकारी प्रोत्साहन, कृषक जागरूकता आदि रहे है।
अतः करौली जिले में भूमि उपयोग प्रतिरूप का भौगोलिक विश्लेषण कर क्षेत्रीय भूमि उपयोग प्रतिरूप के उचित नियोजन, प्रबंधन व संतुलन कर और अधिक उपयोगी बनाना है। ताकि क्षेत्र का संतुलित विकास हो सकें।
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How to cite this article:
नत्थू सिंह महावर. करौली जिले में भूमि उपयोग प्रतिरूप का भौगोलिक विश्लेषण. Int J Geogr Geol Environ 2024;6(2):72-78.