जयपुर जिले में सड़क प्रतिरूप एवं सड़क दुर्घटनाएंः एक भौगोलिक विश्लेषण
Author(s): विकास मीना
Abstract: भूमि पर बने हुए ऐसे मार्ग जिन्हें समतल करके एवं विभिन्न अन्य रूपों में विकसित किया जाता है, ताकि वाहनों के माध्यम से परिवहन आसान हो जाता है, वे सड़कें कहलाती हैं। यात्रियों एवं माल को एक स्थल से दूसरे स्थल तक न्यूनतम चालन शक्ति का प्रयोग करते हुए पहुँचाने के लिए सड़कों का निर्माण इस प्रकार किया जाता है कि बनाने में व्यय भी कम हो साथ ही बाद में देखभाल भी सस्ती रहे। सभी सड़कों का विकास किसी न किसी विषेष प्रतिरूप के अनुरूप ही होता है, जिले में रेखीय सड़क प्रतिरूप, आयताकार सड़क प्रतिरूप, कर्णवत आयताकार प्रतिरूप, अरीय एवं केंद्र-बिंदु प्रतिरूप, टी-आकार प्रतिरूप, आयताकार मकड़ी वृत्त प्रतिरूप, वृत्ताकार प्रतिरूप, अर्द्ध-वृत्ताकार प्रतिरूप, पंक्तिबद्ध प्रतिरूप, तारानुमा प्रतिरूप, समानान्तर प्रतिरूप, सर्पिलाकार प्रतिरूप, वृक्षाकार प्रतिरूप, मिश्रित प्रतिरूप आदि विद्यमान हैं। जब सड़क पर अचानक, किसी की गलती या भूलवष कोई ऐसी घटना हो जाती है, जिससे लोगों को नुकसान पहुँचता है अथवा चोट लग जाती है, तो वह सड़क दुर्घटना कहलाती है। सड़क दुर्घटना होने की एक प्रमुख वजह वाहन चालक की लापरवाही के अलावा गलत सड़क प्रतिरूप का होना हो सकता है। सड़क दुर्घटनाओं की रोकथाम के लिए आवष्यक है कि गलत सड़क प्रतिरूप में सुधार हो, जहाँ सड़क प्रतिरूप के कारण सड़क दुर्घटनाएं होती हैं वहाँ सड़क सुरक्षा के विषेष प्रावधान लागू हों एवं वैकल्पिक मार्गों का निर्माण किया जाये। लोगों को सड़क सुरक्षा संबंधी कानूनों की पालना हेतु जागरूक किया जाये है। लापरवाही एवं जानबूझ कर कानून तोड़ने वालों के खिलाफ सख्त कार्यवाही जैसे चालान, ड्राईविंग लाइसेन्स सस्पेंड़, जुर्माना, कारावास आदि प्रावधान लागू हां।
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How to cite this article:
विकास मीना. जयपुर जिले में सड़क प्रतिरूप एवं सड़क दुर्घटनाएंः एक भौगोलिक विश्लेषण. Int J Geogr Geol Environ 2024;6(2):161-165.