जैविक खेती में नवाचार: स्थानीय ज्ञान और आधुनिक प्रौद्योगिकी के मिश्रण का पोषण, उत्पादन, और पर्यावरणीय प्रभाव
Author(s): अरविन्द कुमार, धीर सिंह शेखावत
Abstract: भारत एक कृषि प्रधान देश है, जहाँ आज भी लगभग 60% जनसंख्या प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से कृषि कार्य से जुडी हुई है, भारत जैसे कृषि प्रधान देश में खेती मात्र आजीविका का साधन ही नहीं बल्कि यहाँ के जनजीवन का आधार है, यहाँ के ग्रामीण जन सामान्य के जीवन की मूलभूत आवश्यकता रोटी, कपडा और मकान ही नहीं, यह सामाजिक - सांस्कृतिक और आर्थिक गतिविधियों को भी प्रभावित करती है |
वर्तमान समय में किसान परम्परगत कृषि कार्य कर रहा है, जिससे कृषि क्षेत्र अत्यधिक प्रदूषित हो रहा है, रासायनिक उर्वरक व कीटनाशको के अँधाधुंध उपयोग से मृदा प्रदूषण ही नहीं पर्यावण पर भी नकारात्मक प्रभाव दखने को मिल रहा है | लेकिन पिछले कुछ समय से उनका रुझान जैविक खेती की और बढ़ा है, जिसका प्रमुख कारण बढ़ती कृषि लागते तथा उचित मूल्य का न मिलना है | जैविक खेती जहाँ एक और कृषि लागतों को कम करने में सहायक है वही यह पर्यावरण अनुकूल तथा संसाधन संरक्षण की संकल्पना को साकार करने वाली है |
प्रस्तुत शोध पत्र के माध्यम से जैविक खेती के लिए स्थानीय ज्ञान जो भौगोलिक परीस्थितीयो के अनुसार अलग अलग है तथा आधुनिक प्रौद्योगिकी जो जैविक खेती के विकास के लिए विकसित की जा रही है उनका मिश्रण किसान किस प्रकार कर रहा है, जिसके पोषण, उत्पादन, तथा पर्यावण पर क्या प्रभाव देखने को मिल रहे है | साथ ही और किन किन नवाचारों की आवश्यकता है जिससे जैविक खेती की संकल्पना को साकार किया जा सके
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How to cite this article:
अरविन्द कुमार, धीर सिंह शेखावत. जैविक खेती में नवाचार: स्थानीय ज्ञान और आधुनिक प्रौद्योगिकी के मिश्रण का पोषण, उत्पादन, और पर्यावरणीय प्रभाव. Int J Geogr Geol Environ 2025;7(1):38-45.