इस अध्ययन का उद्देश्य उत्तर प्रदेश के फतेहपुर और कौशांबी जनपदों में भूमि उपयोग परिवर्तन की प्रकृति और उसके बहुआयामी कारणों को समझना था। भूमि उपयोग परिवर्तन एक जटिल प्रक्रिया है, जिस पर सामाजिक, आर्थिक, पर्यावरणीय और नीतिगत कारकों का सम्मिलित प्रभाव पड़ता है। अध्ययन के लिए दोनों जनपदों के पाँच–पाँच ब्लॉक का चयन किया गया और प्रत्येक ब्लॉक से दस उत्तरदाताओं (कुल 100) के साथ साक्षात्कार आधारित सर्वेक्षण किया गया। प्राप्त आंकड़ों और उत्तरदाताओं की प्रतिक्रियाओं से स्पष्ट हुआ कि भूमि उपयोग परिवर्तन के प्रमुख सामाजिक कारणों में जनसंख्या वृद्धि, पारिवारिक भूमि विभाजन, शहरीकरण, शिक्षा और पीढ़ीगत दृष्टिकोण का बदलाव तथा पलायन की प्रवृत्ति शामिल हैं। आर्थिक कारकों में बाजार की माँग, नकदी फसलों की ओर झुकाव, कृषि यंत्रीकरण, सरकारी योजनाएँ और वैकल्पिक रोजगार अवसर महत्वपूर्ण पाए गए। पर्यावरणीय दृष्टि से वर्षा की अनिश्चितता, भूजल का क्षरण, मृदा की उर्वरता में गिरावट और चरम मौसमी घटनाओं की आवृत्ति ने कृषि भूमि की उत्पादकता को प्रभावित किया है। उत्तरदाताओं ने भविष्य के प्रति चिंता व्यक्त की कि यदि यही प्रवृत्तियाँ जारी रहीं तो आने वाले समय में कृषि भूमि का बड़ा हिस्सा शहरी और गैर-कृषि उपयोग में परिवर्तित हो जाएगा। अध्ययन इस निष्कर्ष पर पहुँचता है कि भूमि उपयोग परिवर्तन केवल स्थानीय कृषि व्यवस्था तक सीमित नहीं है, बल्कि यह व्यापक सामाजिक-आर्थिक और पर्यावरणीय रूपांतरण का प्रतीक है। अतः भूमि उपयोग योजना, जलवायु अनुकूल कृषि पद्धतियाँ और किसानों की सहभागिता पर आधारित नीतिगत हस्तक्षेप आवश्यक हैं।