जैविक कृषि के पर्यावरणीय महत्व का भौगोलिक अध्ययन (जनपद बिजनौर के विशेष सन्दर्भ में)
Author(s): डाॅ0 भावना वत्सल एवं डाॅ0 ओमप्रकाश मौर्य
Abstract: कृषि भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ है। वर्तमान में पर्यावरण की सुरक्षा व सम्वर्द्धन के लिए कृषि की प्राचीन पद्धति जैविक तथा प्राकृतिक कृषि को करने पर विशेष बल दिया जा रहा है जिससे उत्पादित फसलें मानव स्वास्थ्य के लिए लाभदायक रहे। पृथ्वी के संरक्षण के लिए पंच महाभूत पृथ्वी, जल, वायु, अग्नि और आकाश तत्व हैं। आज भूमि के पोषण का प्रश्न हम सबके सामने है। पृथ्वी तत्व का सन्तुलन निरन्तर बिगड़ रहा है इसका एक प्रमुख कारण रासायनिक खेती और अत्यधिक अनुपात में प्रयोग किये जाने वाले कीटनाशक व रासायनिक उर्वरक हैं। जैविक कृषि (आर्गेनिक फाॅर्मिंग) वह कृषि पद्धति है जो पर्यावरण, जल व वायु की शुद्धता, भूमि का प्राकृतिक स्वरूप को बनाने वाली, जलधारण क्षमता को बढ़ाने वाली, स्वास्थ्य के लिए लाभदायक, धैर्यशील कृत संकल्पित होते हुए कृषक को कम लागत से दीर्घकालीन स्थिर व अच्छी गुणवत्ता युक्त पारम्परिक कृषि है।
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डाॅ0 भावना वत्सल एवं डाॅ0 ओमप्रकाश मौर्य. जैविक कृषि के पर्यावरणीय महत्व का भौगोलिक अध्ययन (जनपद बिजनौर के विशेष सन्दर्भ में). Int J Geogr Geol Environ 2023;5(2):133-135.