"International Journal of Geography, Geology and Environment"
2025, Vol. 7, Issue 10, Part A
प्राचीन भारतीय ज्ञान परंपरा में जल संसाधनों का महत्व, संरक्षण एवं प्रबंधन
Author(s): ओम प्रकाश साहू, विनिशा सिंह, पीताम्बरा साहू एवं सुशीला द्विवेदी
Abstract: प्राचीन भारतीय वेदों के अध्ययन से ज्ञात होता हैं, कि वैदिक काल में जल प्रबंधन का कार्य वृहत एवं उत्तम तकनीकों से किया जाता था। ‘जल ही जीवन है’ अर्थात् जल की बर्बादी नहीं करनी चाहिए, जल का उचित प्रबंधन करना अति आवश्यक हो जाता है। प्रस्तुत शोध पत्र में वैदिक काल में किये गए जल संसाधनो के संरक्षण एवं प्रबंधन के कार्यों की व्याख्या की गयी है। हम यह पूरी तरह से भूल चुके है कि जल नहीं तो जीवन ही नहीं रहेगा, परन्तु आज भी देश में यत्र तत्र वैदिक काल की तरह जल संरक्षण और प्रबंधन की विधियाँ देखने को मिलतीं हैं और उन्हीं विधियों को अल्प परिवर्तनों के साथ अपना कर हम वर्तमान पर्यावर्णीय समिस्याओं से मुक्ति पा सकते है। वैदिक काल में जल प्रबंधन का कार्य प्राकृतिक और कृतिम दोनों ही विधियों से करते थे। अतः वैदिक काल के जल प्रबंधन की तकनीकों एवं उसके क्रियान्वयन के तौर तरीकों का अध्ययन करना आवश्यक हो जाता है। इस शोध पत्र में वैदिक काल एवं अन्य प्राचीन साहित्य में वर्णित जल संसाधनों के महत्व, संरक्षण एवं प्रबंधन पर विस्तार से चर्चा की गयी है।
ओम प्रकाश साहू, विनिशा सिंह, पीताम्बरा साहू एवं सुशीला द्विवेदी. प्राचीन भारतीय ज्ञान परंपरा में जल संसाधनों का महत्व, संरक्षण एवं प्रबंधन. Int J Geogr Geol Environ 2025;7(10):41-45. DOI: 10.22271/27067483.2025.v7.i10a.427